शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हाशत्रुघ्न सिन्हा एवं चिराग़ पासवान

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शत्रुघ्न सिन्हा: बिहारी बाबू  की उपलब्धियों की कहानी

भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में बड़े प्रसंगों की बेमिसाल कहानी है, जिसने न केवल फ़िल्मों में अपनी अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया, बल्कि राजनीति के क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शत्रुघ्न सिन्हा, जो 15 जुलाई 1946 को पटना, बिहार में पैदा हुए थे, एक ऐसे स्थानीय छावनी में पैदा हुए थे जहाँ से उन्होंने अपनी बेहद माध्यमिक शिक्षा पूरी की थी। उन्होंने अपने जीवन के सफर में कई महत्वपूर्ण कदम रखे, जिनका हम यहाँ विवरण करेंगे।

शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा
Amitabh Bachchan and Shattughan Sinha

फ़िल्म इंडस्ट्री में करियर की शुरुआत

शत्रुघ्न सिन्हा की फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रवेश होते ही उन्होंने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना शुरू किया। उनका पहला फ़िल्मी मौका देव आनंद की “प्रेम पूजारी” में पाकिस्तानी सैन्य अफसर के रूप में आया था, लेकिन उनकी पहली रिलीज फ़िल्म “सजान” थी। इसके बाद, उन्होंने फ़िल्म “प्यार ही प्यार,” “बनफूल,” “रामपुर का लक्ष्मण,” और “हीरा” में खलनायक की भूमिका में अच्छे प्रदर्शन किए।

1971 में, उन्होंने गुलज़ार की “मेरे अपने” में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें वे अपनी भविष्य की पत्नी पूनम सिन्हा के साथ नजर आए। इसके बाद, उन्होंने कई फ़िल्मों में सहायक भूमिकाओं में काम किया, लेकिन उनकी फ़िल्मों की लीड हीरो की भूमिका में सफलता नहीं मिली। उनकी पहली सफल फ़िल्म “कालिचरण” 1976 में आई, जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई और यह फ़िल्म उनके करियर की एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।

शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा एवं चिराग़ पासवान

राजनीति में करियर

शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीति में प्रवेश उनके जीवन का एक बड़ा तथ्य है, जिसमें उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में अपनी कदम रखी। उन्होंने राजेश खन्ना के खिलाफ एक उप-चुनाव में भाग लिया, जिसका वे बाद में पछतावा महसूस करते हैं। इस चुनाव में राजेश खन्ना ने उन्हें 25,000 वोटों के बड़े अंतर से हराया, और यह घाव उनके दोस्ती को पूरी तरह से बिगाड़ दिया। इसके बावजूद, उन्होंने बाद में राजेश खन्ना के साथ दोस्ती दोबारा बनाने का प्रयास किया, लेकिन वह कभी नहीं हुआ, और खन्ना की मौत हो गई 2012 में।

राजनीति में उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब शत्रुघ्न सिन्हा 2009 में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से भारतीय सामान्य चुनावों में प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने 2009 में 3,16,549 वोटों से जीत हासिल की थी और इस आसनसोल क्षेत्र के सांसद बने। उन्होंने यह पद अगले 2014 भारतीय सामान्य चुनावों में भी जीत हासिल की।

शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा एवं ममता बनर्जी

उन्होंने भारतीय लोकसभा के 13वें सदन में मंत्री मंडल का हिस्सा बनकर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और शिपिंग विभाग का मंत्री का पद निभाया। उन्होंने मई 2006 में भाजपा संस्कृति और कला विभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त होने का भी सौभाग्य पाया।

फिर, 2019 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा उन्हें 2019 के भारतीय सामान्य चुनावों के लिए प्रत्याशी नहीं बनाया जाने के बाद, उन्होंने कांग्रेस के सदस्य बनने का निर्णय लिया। इसके बाद, मार्च 2022 में, शत्रुघ्न सिन्हा आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (TMC) में शामिल हो गए और आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के लिए उप-चुनावों में उम्मीदवार बने। 16 अप्रैल 2022 को, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अग्निमित्रा पौल को 3,03,209 वोटों के बड़े अंतर से हराया और आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के सांसद बने।

Amitabh Bachchan: The Enigmatic Journey of an Icon

अच्छा, चलिए फिल्म इंडस्ट्री में शत्रुघन सिन्हा के करियर को और भी विस्तार से जानते हैं।

फ़िल्म इंडस्ट्री में उनका करियर अपनी शुरुआत में गुज़र गया था, जब उन्होंने सहायक भूमिकाओं में काम किया था। इस दौरान, उन्होंने बड़े स्टार्स के साथ काम किया, जैसे कि अमिताभ बच्चन, जीतेंद्र, और धर्मेंद्र। उन्होंने कई सफल फ़िल्मों में सहायक भूमिकाओं में काम किया, लेकिन उनके पास वह लीड हीरो की भूमिका में सफलता नहीं मिली।

उनका असली प्रशंसा और मान्यता मिली जब उन्होंने 1976 में “कालिचरण” में मुख्य भूमिका में काम किया, और यह फ़िल्म उनके करियर की एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इसके बाद, वे एक बैंकेबल एक्शन हीरो बन गए और 1980 के दशक से 1990 के मध्यावधि तक कई हिट फ़िल्मों में मुख्य भूमिकाओं में नजर आए।

शत्रुघ्न सिन्हा
शत्रुघ्न सिन्हा सपरिवार

उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फ़िल्मों में काम किया, जैसे कि “रास्ते का पथर,” “यार मेरी ज़िन्दगी,” “शान,” और “काला पथ्थर,” जिसमें “शान” सबसे बड़ी हिट थी। इसके बाद, उन्होंने “बॉम्बे टू गोवा,” “दोस्ताना,” और “नसीब” जैसी फ़िल्मों में काम किया।

उनका करियर लीड हीरो के रूप में अच्छे समय से ले लिया था, लेकिन कुछ सालों के बाद, उनकी कुछ फ़िल्में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद बॉक्स ऑफ़िस पर सफल नहीं थीं। इसके बावजूद, उन्होंने फ़िल्म “कलका” को प्रोड्यूस किया, जो कोयले के खदान के कामगारों के जीवन पर आधारित थी, और यह फ़िल्म 1983 में रिलीज़ हुई।

उन्होंने फ़िल्मों में लीड हीरो के रूप में काम किया और अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, और धर्मेंद्र के साथ काम किया। उन्होंने अपने करियर में कई चर्चित फ़िल्मों में भी भाग लिया, लेकिन कुछ समय के बाद उनके करियर को लेकर चुनौतियाँ आईं, और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता से उन चुनौतियों का सामना किया।

शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा
अमिताभ बच्चन व शत्रुघ्न सिन्हा

फिल्म इंडस्ट्री में उनके करियर के साथ-साथ, उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और 2009 में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से भारतीय सामान्य चुनावों में उपमंत्री के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद, उन्होंने भाजपा के सदस्य के रूप में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्भर किया और समाज के लिए योगदान किया।

उनका संघर्ष और प्रतिबद्धता उन्हें सफलता की ओर ले जाया और उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री और राजनीति के दो क्षेत्रों में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई। वे भारतीय सामाजिक, सांसद, और मंत्री के रूप में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं, और उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत और प्रतिबद्धता से कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

 

निष्कर्ष

शत्रुघ्न प्रसाद सिन्हा का जीवन एक उदाहरण है कि संघर्ष और संघर्ष से भरपूर होता है, और व्यक्ति के संघर्षों से वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उनका करियर फ़िल्मों से लेकर राजनीति तक कई महत्वपूर्ण दौरों से गुजरा, जिनसे वे भारतीय सामाजिक और सांसद के रूप में महत्वपूर्ण योगदान कर चुके हैं।

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