बिहार का लाल, क्रिकेट का धूमकेतु: आकाशदीप की कहानी
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एक संघर्षपूर्ण सफर
भारतीय क्रिकेट जगत में पिछले कुछ समय में कई नए सितारे चमके हैं, उन्हीं में से एक नाम है बिहार के रहने वाले तेज गेंदबाज आकाशदीप का। उनकी कहानी जुनून, संघर्ष और दृढ़ निश्चय की प्रेरणादायक दास्तान है।
आकाशदीप का जन्म 1996 में बिहार के सासाराम जिले के बड्डी गांव में हुआ था। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून बचपन से ही था। कहते हैं कि 2007 टी20 वर्ल्ड कप फाइनल भारत-पाकिस्तान के बीच खेला गया था। उस समय बिजली की कटौती आम थी, तो आकाशदीप ने जेनरेटर लेकर फाइनल मैच देखा था। उसी मैच से उनकी क्रिकेटर बनने की ठानी पक्की हो गई।
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लेकिन क्रिकेट का सफर इतना आसान नहीं था। आर्थिक तंगी और पारिवारिक परेशानियों ने उनके संघर्ष को और कठिन बना दिया। मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। कुछ महीनों बाद ही उनके बड़े भाई का भी निधन हो गया। इन कठिनाइयों के चलते उन्हें एक समय क्रिकेट छोड़ना भी पड़ा।
संघर्षों से जूझते हुए
कोलकाता आकर आकाशदीप ने फिर से गेंद थामी। वहां रहकर उन्होंने कड़ी मेहनत की। कोलकाता में रहने के दौरान आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, मगर उन्होंने हार नहीं मानी। वह लगातार अभ्यास करते रहे और अपनी प्रतिभा को निखारते रहे।
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पिता की मृत्यु और भाई का निधन
बिहार के सासाराम के रहने वाले आकाश दीप क्रिकेट खेलना चाहते थे लेकिन उनके पिता ने उन्हें हतोत्साहित किया। वह नौकरी खोजने के बहाने दुर्गापुर के लिए रवाना हुआ और उसे अपने चाचा का समर्थन मिला। वह एक स्थानीय अकादमी में गए जहां उन्हें अपनी गति के लिए प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई। हालाँकि, उनके पिता को दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु के दो महीने बाद, उनके बड़े भाई का निधन हो गया। घर में पैसे नहीं थे और उसे अपनी माँ की देखभाल करनी थी। इसके चलते उन्हें तीन साल के लिए खेल से बाहर होना पड़ा।
सपना नहीं छोड़ा
उन्होंने ये साल अपने जीवन को फिर से बनाने की कोशिश में बिताए लेकिन उन्हें एहसास हुआ कि उनका क्रिकेट का सपना इतना बड़ा था कि उन्हें जाने नहीं दिया जा सकता था। वह दुर्गापुर लौट आए, और फिर अंततः कोलकाता चले गए, जहां उन्होंने एक छोटा कमरा किराए पर लिया और अपने चचेरे भाई के साथ रहने लगे।
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निष्कर्ष
आकाशदीप की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह कहानी बताती है कि जुनून, मेहनत और दृढ़ निश्चय से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। आकाशदीप के अभी कई सारे मुकाम हासिल करने बाकी हैं और आने वाले समय में वह भारतीय क्रिकेट टीम के लिए एक मजबूत स्तंभ बनकर उभर सकते हैं।
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