स्मृति ईरानी: टीवी के तुलसी से लेकर मंत्रालयों की कुर्सी तक का सफरनामा
भारतीय राजनीति का परिदृश्य जब भी हमारे सामने आता है, तो वहां एक चिरपरिचित चेहरा उभर कर आता है – स्मृति ईरानी. वह नाम जिसने कभी टीवी पर ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ जैसे धारावाहिकों में सामाजिक संस्कारों की मशाल जलाकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, तो वहीं आज राजनीति के धुरंधरों के बीच अपनी बुद्धिमत्ता और कूटनीति से लोहा मनवा रही है. स्मृति ईरानी का सफर किसी परीकथा से कम नहीं, जिसमें टीवी की चकाचौंध से लेकर केंद्रीय मंत्रालयों के गलियारों तक का मार्ग तय किया गया है. आइए आज उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से नजर डालें और एक अभिनेत्री से राजनीतिज्ञ तक के इस परिवर्तन की गहराइयों को समझें.
बाल कलाकार से टेलीविजन की रानी तक:
दिल्ली की एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी स्मृति ने बचपन से ही कला और अभिनय के प्रति झुकाव रखा. स्कूल और कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने रंगमंच पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और फिर नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय का गहन ज्ञान अर्जित किया. 1998 में उन्हें दूरदर्शन के सीरियल “चुनौती” से अपने टेलीविजन करियर की शुरुआत का अवसर मिला, लेकिन असली पहचान उन्हें एकता कपूर के धारावाहिक “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” से मिली. इसमें पारंपरिक मूल्यों, धैर्य और त्याग की प्रतिमूर्ति तुलसी का उनका किरदार घर-घर में लोकप्रिय हो गया. 8 सालों तक उन्होंने इस भूमिका को निभाते हुए समाज में आदर्श बहू की छवि बनाई और लाखों दर्शकों के दिलों में बस गईं.
राजनीति का आह्वान और भाजपा का झंडा:
अभिनय की सफलता के शिखर पर होते हुए भी स्मृति का मन सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की ओर खींचा गया. 2003 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की और राजनीति में प्रवेश किया. हालांकि 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके हौसले में कमी नहीं आई. उन्होंने लगातार मेहनत की और 2009 में दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से शानदार जीत हासिल की. यह जीत किसी सनसनी से कम नहीं थी, क्योंकि इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. इसके बाद 2014 और 2019 में लगातार दो बार जीतकर उन्होंने एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि को मजबूत किया.
केंद्रीय मंत्री के रूप में उल्लेखनीय योगदान:
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार के गठन के बाद स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया. इसके बाद उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का भी प्रभार मिला. शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कई ऐतिहासिक सुधार किए, जिनमें नई शिक्षा नीति का निर्माण, उच्च शिक्षा संस्थानों का विस्तार, IIT और IIM में सीटों में वृद्धि, कौशल विकास कार्यक्रमों का प्रारंभ और स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन शामिल है. उनके कार्यकाल में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को भी व्यापक स्तर पर चलाया गया और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सार्थक प्रयास किए गए.
पीछा नहीं छोड़ता ये विवादों का साया
स्मृति ईरानी, भले ही एक सफल राजनीतिज्ञ हों, मगर विवादों के बिना उनकी चर्चा अधूरी है. आइए डालते हैं उनके जीवन के उन पन्नों पर नजर, जो विवादों से रंगे हुए हैं:
![स्मृति ईरानी](https://i0.wp.com/biharnewsreporter.com/wp-content/uploads/2024/03/IMG_2713.jpeg?resize=640%2C421&ssl=1)
शैक्षणिक योग्यता का विवाद:
- अपने चुनावी हलफनामों में स्मृति ने अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में अलग-अलग जानकारी दी है. 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए डिग्री बताई, जबकि 2011 में गुजरात से राज्यसभा और 2014 में उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते हुए उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग से बीकॉम पार्ट 1 बताया.
- एक स्वतंत्र लेखक ने 2015 में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि स्मृति ने गलत हलफनामे दिए हैं. कोर्ट ने शिकायतकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए चुनाव आयोग और दिल्ली विश्वविद्यालय को स्मृति के शैक्षणिक रिकॉर्ड लाने का निर्देश दिया.
- 2016 में दिल्ली की एक अदालत ने यह मानते हुए कि शिकायत में देरी हुई है और प्राथमिक सबूत खो चुके हैं, स्मृति को तलब नहीं किया. हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस फैसले को चुनौती दी और मामले की जांच का आदेश दिया.
- ये विवाद आज भी सुलझे नहीं हैं और स्मृति के ऊपर झूठे हलफनामे देने का आरोप लगता रहता है.
येल विश्वविद्यालय डिग्री का दावा:
- 2014 में इंडिया टुडे विमेन समिट में शिक्षा मंत्री रहते हुए स्मृति ने कहा कि उनके पास येल विश्वविद्यालय से भी डिग्री है. बाद में पता चला कि यह मात्र 6 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का सर्टिफिकेट था.
- उनके इस दावे ने उनकी ईमानदारी पर सवाल उठाए और उन्हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी.
बाल दुर्व्यवहार को हल्का करना:
- 2021 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री होने के दौरान उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में लिखा कि बचपन में उनके साथ मारपीट की जाती थी और इस तरह उनकी माँ ने उनके चक्र खोल दिए, कर्म ठीक किया और आभा साफ कर दी.
- इस पोस्ट की व्यापक निंदा हुई, क्योंकि इसे बाल दुर्व्यवहार के गंभीर मुद्दे को तुच्छ समझने और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भूमिका को कम आंकने के रूप में देखा गया.
सिल्ली सोल्स कैफे विवाद:
- 2022 में एक आरटीआई के जवाब से पता चला कि स्मृति ईरानी के परिवार का कथित तौर पर गोवा के एक बार, सिल्ली सोल्स कैफे एंड बार, से संबंध है. इससे पहले स्मृति की बेटी ने एक साक्षात्कार में भी इस बात को स्वीकार किया था.
- हालांकि, स्मृति ने बार से किसी भी संबंध से इनकार किया. लेकिन बाद में एक अन्य आरटीआई ने यह तथ्य उजागर किया कि बार का लाइसेंस उनके परिवार की एक कंपनी के नाम पर ही जारी किया गया था.
- इस विवाद से स्मृति की पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए और परिवारवाद के आरोप लगे.
पत्रकार से दुर्व्यवहार:
- जून 2023 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें स्मृति ईरानी अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा कर रही थीं और एक पत्रकार ने उनसे कुछ शब्द कहने का अनुरोध किया. स्मृति ने गुस्से में पत्रकार को डांट दिया और अशिष्ट व्यवहार किया.
- इस घटना का मीडिया संगठनों द्वारा कड़ा विरोध किया गया और स्मृति के रवैये की निंदा की गई.
ये कुछ ऐसे
विवाद हैं, जो स्मृति ईरानी के राजनीतिक जीवन पर छाया करते हैं. उनके समर्थक इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हैं, जबकि विपक्षी दल इन पर लगातार हमला करते हैं. हालांकि, ये विवाद न केवल उनकी छवि को प्रभावित करते हैं, बल्कि उनके कामकाज पर भी सवाल उठाते हैं.
![स्मृति ईरानी](https://i0.wp.com/biharnewsreporter.com/wp-content/uploads/2024/03/IMG_2712.jpeg?resize=640%2C787&ssl=1)
विवादों का प्रभाव:
- स्मृति ईरानी के विवादों ने निस्संदेह उनकी कर्मठता और कार्यकुशलता पर सवाल उठाए हैं.शिक्षा नीति से लेकर जेएनयू विवाद तक, कई मुद्दों पर उनकी नीतियों की आलोचना हुई है.
- शैक्षणिक योग्यता और येल डिग्री जैसे विवादों से उनकी ईमानदारी और पारदर्शिता पर संदेह पैदा हुआ है. सिल्ली सोल्स कैफे और पत्रकार से दुर्व्यवहार वाले मामलों ने उनके चरित्र और रवैये पर नकारात्मक प्रभाव डाला है.
- इन विवादों के कारण जनता का एक वर्ग उनसे दूर जाता है और उनकी लोकप्रियता को नुकसान पहुंचता है. भविष्य में होने वाले चुनावों में भी ये विवाद उनके लिए चुनौती बन सकते हैं.
संभावित परिणाम:
- हालांकि, विवादों के बावजूद स्मृति ईरानी एक कद्दावर राजनीतिज्ञ हैं. उनकी मजबूत हाजिरजवाबी, वक्तृत्व कौशल और प्रशासनिक क्षमता को नकारा नहीं जा सकता. भाजपा में उनकी एक मजबूत पकड़ है और पार्टी नेतृत्व उन्हें भविष्य के लिए महत्वपूर्ण मानता है.
- आने वाले समय में वे इन विवादों से कैसे निपटती हैं और अपनी छवि सुधारने के लिए क्या कदम उठाती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.उनकी भविष्य की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि वे विवादों का सामना कैसे करती हैं और जनता का विश्वास जीत पाती हैं या नहीं.
एक बहुआयामी व्यक्तित्व:
स्मृति ईरानी का व्यक्तित्व बहुआयामी है. वह एक सफल अभिनेत्री, साहसी राजनीतिज्ञ, कुशल प्रशासक और एक प्रेरणादायक शख्सियत हैं. उनकी अभिनय यात्रा ने न केवल दर्शकों को मनोरंजन दिया बल्कि सामाजिक मूल्यों को भी मजबूत किया. राजनीति में उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर अपने विचार रखने का हौसला दिखाया है और महत्वपूर्ण फैसले लेने में हिचक नहीं रही हैं. उनकी कूटनीति, वक्तृत्व कौशल और संवाद कला ने उन्हें पार्टी के एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया है. हालांकि, वह विवादों से भी घिरी रही हैं और उनकी कार्यशैली व नीतियों पर हमेशा सवाल उठते रहते हैं.
भविष्य की संभावनाएं:
स्मृति ईरानी अभी अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष पर हैं. भाजपा के युवा नेताओं में उनकी एक अलग पहचान है और पार्टी नेतृत्व उन्हें भविष्य की बड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार कर रहा है. क्या वह राष्ट्रीय राजनीति में और ऊंचाइयों को छूएंगी? क्या वह पार्टी का चेहरा बनकर उभरेंगी? ये सवाल हर किसी के मन में हैं. आने वाला समय ही बताएगा कि राजनीति के गलियारों में स्मृति ईरानी का सफर कहां तक बढ़ता है और भारतीय राजनीति में उनका योगदान कैसा होगा.
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निष्कर्ष:
स्मृति ईरानी का सफर किसी पहेली की तरह है, जिसमें टीवी की रौशनी से लेकर मंत्रालयों की गंभीरता तक का नज़ारा दिखता है. उनकी कामयाबी, संघर्ष, विवाद और उपलब्धियां हमें सोचने के लिए विवश करती हैं कि एक महिला के रूप में उन्होंने कैसे इतनी ऊंचाइयों को छुआ है. वह न केवल एक सफल राजनीतिज्ञ हैं, बल्कि आज की युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी हैं. उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण से असंभव लगने वाले कार्य भी सिद्ध किए जा सकते हैं. आइए उम्मीद करें कि स्मृति ईरानी का यह सफरनामा आगे भी जारी रहे और समाज व राष्ट्र के विकास में उनका योगदान सराहनीय बना रहे.